इन 5 समस्याओं का कारण बन सकता है बिना सोचे समझें रस्सी कूदना

Ashish
6 Min Read

Skipping Rope Exercise: जैसे कि आप सभी जानते ही होंगे,कि इसका असर घुटनों एवं शरीर के अन्य किसी जोड़ों पर भी देखने को मिलता है।इसलिए आप सबको इसके लाभ के साथ ही साथ इसके दुष्प्रभाव के विषय में भी जानकारी होना चाहिए।तो फिर आइए इस आर्टिकल के माध्यम से हम रोप स्किपिंग के दुष्प्रभाव के विषय में जानते हैं।

रस्सी कूदने की कसरत करने के लाभ के विषय में तो आप सभी व्यक्तियों ने तो सुना ही होगा।इसे एक बेहतर कार्डियो व्यायाम माना जाता है।इसके अतिरिक्त यह आपकी शरीर को नियंत्रण में रहने में सहायता करता है।और साथ ही साथ शरीर को लचकदार बनाने में भी सहायता करता है।अगर आप इस कसरत को करने की सही विधि एवं सही वक्त नहीं जानती हैं।और साथ ही अगर आप इस कसरत को अधिक कर रही हैं।तो यह आपकी शरीर पर अनेक तरह के दुष्प्रभाव छोड़ सकता है।विशेष रूप से इसका असर घुटने एवं शरीर के किसी अन्य जोड़ों पर भी देखने को मिलता है।इसीलिए सभी व्यक्तियों को इसके लाभ से लेकर इसके दुष्प्रभाव तक के विषय में भी जानकारी होना चाहिए।तो फिर आइए जानते हैं,रस्सी कूदने के दुष्प्रभावों के बारे में।

यहां जानें रोप स्किपिंग के कुछ साइड इफेक्ट्स

Jumping rope without thinking can cause these 5 problems

1)शिन स्प्लिंट

रस्सी कूदने के अंतर्गत शिन स्प्लिंट होना एकदम साधारण है यह एक तरह की चोट है, जिसमें शिन बोन में बहुत अधिक पीड़ा का एहसास होता है इस परिस्थिति को मेडियल ट्राईबल तनाव सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है।इस परिस्थिति में टांगों में कसाव एहसास होता है।और सूजन भी देखने को मिल सकता है।इसका वजह है,कि गलत मुद्रा और तकनीक में ज्यादा वक्त तक कूदने वाला कसरत करना हमारे शरीर को काफी नुकसान पहुंचा सकता है।अगर आप कूदने के तकनीक को ध्यान में रखेंगे,तो इस संकट को आप नजरअंदाज भी कर सकते हैं।

2)कॉफ स्ट्रेन

जैसे कि आप जानते हैं,कि कॉफ स्ट्रेन को पुल्ड कॉफ मांसपेशियां के नाम से भी जाना जाता है। सभी तरह के एथलीट को इस प्रकार के संकट का अनुभूति अवश्य होता है।यह चोट अक्सर कूदने,दौड़ने और जल्दी-जल्दी चाल बढ़ाने के कारण से होता है।किसी भी फिजिकली एक्टिविटी करने से पहले वार्म अप ना किया जाए,तो इसका संकट बढ़ जाता है।रस्सी कूदने के अंतर्गत पैर की गति काफी तेज और ताकतवर होते हैं।जो कॉफ मांसपेशियों के अधिक खिंचाव होने का वजह बन सकता है।ऐसी परिस्थिति में कॉफ दर्द,सूजन,चलने का रफ्तार धीरे हो सकता है।रस्सी कूदने के पहले शरीर को इसके लिए पूरी तरह तैयार कर लेना आवश्यक होता है।

3)ब्रेस्ट पर पड़ सकता है नकारात्मक असर

स्तन तांबा बंधन और त्वचा के संरचना पर टीका होता है।जब आप लगातार रस्सी कूद कर रही होती है।या कोई अन्य कसरत में व्यस्त होती हैं।तो इस परिस्थिति में बंधन और त्वचा बार-बार पुल होते हैं।जिसके कारण से स्तन ढीलापन हो सकती है।इसे सहायता करने के लिए प्रीमियम गुणवत्ता के खेल कूद वाला ब्रा पहनें,जिससे की असामयिक स्तन ढीलापन को रोका जा सकता है।

4)यूट्रस पर भी नजर आ सकता है असर

क्या सही में रस्सी कूदना गर्भाशय के लिए हानिकारक होता है?अगर आप एक साधारण एवं स्वस्थ महिला हैं, रस्सी कूदने वाला कसरत करती हैं।तो यह आपके गर्भाशय को असर नहीं करता है।गर्भाशय बेहद शक्तिशाली बंधन के जरिए पकड़े जाते हैं।अगर ये बंधन सही प्रकार से हेल्दी रहते हैं,तो रस्सी कूदने से गर्भाशय को नुकसान नहीं पहुंच पाता है।

अगर आप यूटेरिन प्रोलैप्स से दुःखित हैं,तो आपको रस्सी कूद नहीं करना चाहिए।यह परिस्थिति को और अधिक खतरे में डाल सकती है।यूटेरिन प्रोलैप्स की परिस्थिति में बंधन नुकसान से गुजर रहे होते हैं,और अधिक दुर्बल हो जाते हैं।और उनकी गर्भाशय होल्ड करने की क्षमता भी कार्य हो जाती है।इस परिस्थिति में अगर आप कूदने वाले कोई भी कसरत करती हैं,तो गर्भाशय अपने मूल पद से खिसक सकता है।

यूटेरिन प्रोलैप्स की अनेक वजह हो सकते हैं,जैसे की एकाधिकार गर्भावस्था और लंबे समय तक डिलीवरी इसके अतिरिक्त गुरुत्वाकर्षण प्रभाव गर्भाशय पर लंबे समय तक तनाव पड़ना।

जम्प  एक्सरसाइज घुटनों के जोड़ों के पेन  का कारण बन सकती हैं। इसमें की गई छोटे छोटे वजह हो सकता है जिससे आप  इस समस्या का शिकार बन सकते  हैं। आमतौर पर यह बहुत ज्यादा जंप करने के कारण होता है। उस स्थिति में सूजन हो जाती है और चलने में उठने बैठने में भी दर्द का अनुभव हो सकता है। इन्हे अवॉइड करने के लिए जंपिंग एक्सरसाइज के हाइट, स्पीड और फ्रीक्वेंसी का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इस पर आप फिटनेस ट्रेनर की सलाह ले सकती हैं।

5)घुटने के ज्वाइंट में दर्द होना

कूदने वाले कसरत से घुटनों के जॉइंट्स पेन का वजह बन सकता है।इसमें की गई छोटी सी भी गलती आपको इस संकट के चपेट में ले सकता है। आमतौर पर यह बहुत अधिक कूदने के वजह से होता है।उस परिस्थिति में फुलाव हो जाती है और चलने फिरने एवं उठने बैठने में भी पीड़ा का अनुभूति हो सकता है। इन्हें नजर अंदाज करने के लिए कूदने वाले कसरत  के ऊंचाई,आवृत्ति और रफ्तार का भी ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है। इस कसरत को करने के लिए आप फिटनेस ट्रेनर की भी सुझाव ले सकती हैं।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *